पहले सिंधु नदी के दर्शन कर लीजिये ।
सभी चित्र पिछले बरस जंस्कार नदी और सिंधु के संगम के आगे पीछे लद्दाख अंचल के हैं जो मेरे सामान्य मोबाइल फोन के कैमरे से लिये गये हैं

मित्र श्री अनिल गोस्वामी ने सिंधु नदी और भारत पाकिस्तान जल समझौते पर एक संक्षिप्त लेख लिखा है वह नीचे कॉपी पेस्ट किया है , पढ़ लीजिये और जानिये –
“ प्यासा मरेगा पाकिस्तान”

पहलगाम आतंकवादी घटना के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में पाकिस्तान के विरुद्ध 5 महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं।
यद्यपि इनका कानूनी अधिकार क्या है और पहलगाम आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का हाथ हो इसके क्या सबूत हैं ? यह देश की जनता को नहीं पता , ऐसा संभव है कि सरकार के पास सारे तथ्य और सबूत हों। वैसे भी इस दर्दनाक आतंकवादी हमले को पाकिस्तान ने कराया हो इसको लेकर नकारा नहीं जा सकता।
इस मामले में मैं अपनी देश की सरकार के साथ हूं।
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जो त्वरित कार्रवाई की है उनमें सबसे महत्वपूर्ण है “सिंधु नदी जल संधि” , बाकी बातों का जनता पर प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि पाकिस्तान से आना जाना वैसे ही बंद है तो पाकिस्तानी दूतावास खुले या बंद रहे क्या फर्क पड़ता है? अटारी बार्डर खुले या बंद हो क्या फर्क पड़ता है ? सारे पाकिस्तानियों का विज़ा रद्द किया गया इससे क्या फर्क पड़ता है ?
कोई फर्क नहीं पड़ता….
फ़र्क पड़ता है 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ सिंधु नदी जल बंटवारा , जिसमें अहम बिंदु यह है कि कोई भी देश इसे इकतरफा रद्द नहीं कर सकता। इसीलिए भारत ने इस समझौते को रद्द नहीं निलंबित किया है।
सिन्धु नदी अथवा INDUS Rever एशिया की सबसे लंबी नदियों में से एक है जो 3610 किमी लंबी है। यही वह नदी है जिसके किनारे बसे लोग सिंधु नदी के किनारे बसने के कारण “हिंदू” कहे गए और INDUS से देश का नाम INDIA हो गया। भारत में यह नदी लगभग 1000 किमी बहती है।
“सिंधु नदी” तिब्बत के कैलाश पर्वत श्रृंखला में मानसरोवर झील के पास “बोखर-चू” नामक ग्लेशियर से निकलती है और”सिन-का-बाब” नामक जलधारा के रूप में यह नदी उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती हुई भारत के लद्दाख क्षेत्र में “देमचोक” नामक स्थान पर प्रवेश करती है और यहाँ से यह हिमालयी क्षेत्र में गहरी घाटियों से होकर बहती है।
लद्दाख में लेह के पास आकर सिंधु नदी ज़ांस्कर नदी में मिलती है। यह एक महत्वपूर्ण संगम है, जहां ज़ांस्कर की धारा सिंधु की मुख्य धारा को प्रभावित करती है।इसके बाद केरिस (लद्दाख) में सबसे बड़ी श्योक नदी सिंधु नदी में मिलती है। इसके बाद भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के पास (गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में) गिलगित और हुंजा जैसी सहायक नदियाँ सिंधु में मिलती हैं।
सतलज, रावी , ब्यास,सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों में से सिंधु और सतलज नदी चीन से आती है, जबकि बाकी चार नदियां भारत में ही निकलती हैं। सभी नदियों के साथ मिलते हुए विशाल सिंधु नदी कराची के पास अरब सागर में गिरती है जिसका बहाव गिलगिट , पेशावर , रावलपिंडी , थट्टा तक है।
अर्थात गंगा से भी बड़ी “सिंधु नदी” पर सबसे पहला नियंत्रण चीन का है और यह “चीन” में करीब 300 किमी तक चलकर भारत में “काराकोरम” और “लद्दाख” पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बहती है।
कहने का अर्थ यह है कि “सिंधु नदी” पर किसी एक देश का पुर्ण अधिकार नहीं है और चीन जब चाहे सिंधु नदी के जल को पूरी तरह भारत आने से रोक सकता है और वह इसके लिए बहुत पहले से कोशिश करना शुरू कर चुका है।
सतलज, रावी , ब्यास,सिंधु, चिनाब और झेलम जिन 6 नदियों के पानी से सिंधु नदी बनती है। उसे लेकर भारत और पाकिस्तान सिंधु नदी जल बंटवारे के तहत सतलज रावी और व्यास के पानी पर भारत का पुर्ण अधिकार है जिसका वह यथा संभव उपयोग करता है। परन्तु सिन्धु , चिनाब और झेलम के पानी का वह 20% पानी ही उपयोग कर सकता है। शेष पाकिस्तान की ओर जाने देता है।
इन 6 नदियों के समूह से बना “सिंधु नदी बेसिन” करीब साढ़े ग्यारह लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। अर्थात उत्तर प्रदेश , बिहार , राजस्थान और पश्चिम बंगाल इसमें समा सकते हैं। सोचिए पानी रोका गया बरसात में क्या हो सकता है?
दरअसल इस समझौते को तुरंत निलंबित करना अव्यवहारिक इसलिए है कि इन नदियों के बीच समुद्र है जिसके पानी को रोक पाना लगभग असंभव है। यह कोई गेट नहीं है कि ताला बंद कर दिया और नदियों का पानी पाकिस्तान जाना बंद हो गया और अगले दिन से ही पाकिस्तान प्यासा मरने लगा।
इसके लिए भारत को भाखड़ा नांगल बांध जैसे तमाम बांध और कई नहरें बनानी होंगी, जिसके लिए बहुत पैसे और भारत की जो सरकारी कार्यपद्धति है उसमें कम से कम 25 वर्ष की ज़रूरत होगी। वह भी तब जब चीन कोई प्रतिक्रिया ना दे दे। अर्थात पहलगाम आतंकवादी हमले का बदला 25 वर्ष बाद सिंधु नदी के पानी को रोक कर लिया जाएगा।
जैसा कि यह सरकार त्वरित फैसले लेती है तो यदि उसने पाकिस्तान जाने वाली इन नदियों का पानी तुरंत रोक लिया तो क्या होगा ?
रोका हुआ यह जल तमाम रिहायशी इलाकों में फैलेगा , इससे विस्थापन की समस्या का समाना भी करना पड़ सकता है और इस जमा पानी के कारण पर्यावरण नष्ट होगा जिसके प्रभाव भी होंगे।
कहने का अर्थ यह है कि पाकिस्तान प्यासा जजमरे ना मरे मगर बिना समुचित प्रबंध किए भारत ने पानी रोका तो उसका बहुत बड़ा हिस्सा डूबना तय है।
चीन से भारत में 10 नदियां आती हैं, सिंधु नदी , ब्रह्मपुत्र नदी , सतलज नदी , काली नदी कर्णाली नदी ,कोसी नदी और टिस्ता नदी इत्यादि।
सब जानते हैं कि चीन स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के साथ है और उसका भारी निवेश पाकिस्तान और विशेषकर POK में है जो आने वाले दिनों में इसे मुद्दा बनाते हुए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
चीन का पाकिस्तान में प्रत्यक्ष निवेश करीब 68 अरब डॉलर का है जिसमें करीब 47 अरब डॉलर चीन ने पाकिस्तान के ऊर्जा क्षेत्र में लगाए हैं और उसकी वहां 74% हिस्सेदारी है। जहां वह बांध बना रहा है, बिजली का उत्पादन कर रहा है।
इनमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के तहत तमाम जल विद्युत परियोजनाएं शामिल हैं। यह परियोजनाएँ मुख्य रूप से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्रों में केंद्रित हैं जहां से झेलम , चिनाब और सिंधु नदी बहती है।
चीन पाकिस्तान में जल विद्युत परियोजना के लिए जो बांध बना रहा है उनमें
1-दियामेर-भाशा बांध (गिलगित-बाल्टिस्तान, PoK) है जो सिंधु नदी पर गिलगित-बाल्टिस्तान में बनाया जा रहा है, यह $5.8 बिलियन की परियोजना है, जिसमें चीन की सरकारी कंपनी चाइना पावर और पाकिस्तानी सेना की कंपनी फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (FWO) शामिल हैं। 4500 मेगा जल विद्युत परियोजना भारत के तमाम विरोध के बावजूद जारी है।
2- नीलम-झेलम जलविद्युत परियोजना जो नीलम और झेलम नदियों पर मुजफ्फराबाद POK के पास बनी है। चीन की गार्गेज कॉरपोरेशन कंपनी इस परियोजना में शामिल है, जो 1,124 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए बनाई गई है।
3- दसू बांध (खैबर पख्तूनख्वा) परियोजना सिंधु नदी पर खैबर पख्तूनख्वा के कोहिस्तान जिले में है और यह CPEC का हिस्सा है और चाइना गेझोउबा ग्रुप कंपनी (CGGC) द्वारा बनाया जा रहा है। इसकी क्षमता 4,320 मेगावाट है, और यह पाकिस्तान की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
ऐसे ही 7,100 मेगावाट गिलगित-बाल्टिस्तान में सिंधु नदी पर एक और प्रस्तावित जलविद्युत परियोजना, PoK में झेलम नदी के पास 1,124 मेगावाट की कोहाला जलविद्युत परियोजना भी हैं जो भारत से जाती सिंधु नदी जल पर निर्भर हैं और पाकिस्तान से अधिक चीन को प्रभावित करेंगी।
तो समझिए कि चीन क्या करेगा ? और फ़िर अपना विदेश मंत्री स्वीकार कर चुका है कि चीन भारत से बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था है इसलिए उससे नहीं लड़ सकते।
तो सिंधु नदी जल संधि रोकने पर चीन की POK स्थिति परियोजनाएं प्रभावित होंगी। बदले में चीन भी अपने यहां से आने वाली 10 नदियों का पानी रोक सकता है और वह इसके लिए वह बहुत पहले से तैयारी कर चुका है। यहां तक कि चीन ने सिंधु नदी की सहायक गलवान नदी के प्रवाह को रोक दिया है।
Lowy Institute संस्था के अनुसार. इसके अलावा, चीन ने सिंधु बेसिन में पनबिजली परियोजनाओं के लिए जल भंडारण शुरू किया है और कुछ ही दिनों में वह अपने यहां से भारत आते सभी पानी को रोक देगा जिससे पाकिस्तान में जारी उसकी जल विद्युत परियोजनाओं की आपूर्ति बाधित ना हो।
सोचिए कि कितना मुश्किल है?
बाकी हेडलाइन ब्रेक हुई, देश के सैकड़ों समाचार पत्र और तमाम मीडिया चैनलों पर पाकिस्तान को प्यासा मारने की खबरें प्रसारित हुईं देश को मरहम लगा कि पाकिस्तान प्यासा मर जाएगा।
उम्मीद करता हूं कि ऐसा ही हो.. मगर ….. ?