
पूरे भारत की दरगाहों और मजारों पर बिकने वाली चादरों पर आयात और कलमें नहीं लिखे जाएंगे। महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान का कहना है कि भारत की सभी दरगाहों से इस विषय पर बात की जाएगी।
नागपुर में हुई हिंसा के बाद दरगाहों और मजारों पर बिकने वाली चादरों से अयात और कलमे हटाने का फैसला किया गया है। जिन चादरों में आयतें और कलमे लिखे होते हैं, उनकी बिक्री पर पाबंदी लगाई जाएगी। नागपुर के ताजुद्दीन बाबा ट्रस्ट ने इसकी घोषणा पहले ही कर दी है। महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग जल्द ही भारत की सभी दरगाहों को पत्र लिखकर इस प्रकार की चादरों पर पाबंदी लगने की बात करेगा। सभी मजारों से बात करके उन्हें बताया जाएगा कि वहां बिकने वाली चादरों पर अयात और कलमे ना लिखे जाएं और वहीं चादरें चढ़ाई जाएं, जिनमें आयात और कलमे ना लिखे गए हों
महाराष्ट्र मजार में चढ़ने वाली चादरों में नहीं लिखे जाएंगे आयत या कलमे, नागपुर विवाद के बाद अल्पसंख्यक आयोग का फैसला
मजार में चढ़ने वाली चादरों में नहीं लिखे जाएंगे आयत या कलमे, नागपुर विवाद के बाद अल्पसंख्यक आयोग का फैसला
पूरे भारत की दरगाहों और मजारों पर बिकने वाली चादरों पर आयात और कलमें नहीं लिखे जाएंगे। महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान का कहना है कि भारत की सभी दरगाहों से इस विषय पर बात की जाएगी।
नागपुर में हुई हिंसा के बाद दरगाहों और मजारों पर बिकने वाली चादरों से अयात और कलमे हटाने का फैसला किया गया है। जिन चादरों में आयतें और कलमे लिखे होते हैं, उनकी बिक्री पर पाबंदी लगाई जाएगी। नागपुर के ताजुद्दीन बाबा ट्रस्ट ने इसकी घोषणा पहले ही कर दी है। महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग जल्द ही भारत की सभी दरगाहों को पत्र लिखकर इस प्रकार की चादरों पर पाबंदी लगने की बात करेगा। सभी मजारों से बात करके उन्हें बताया जाएगा कि वहां बिकने वाली चादरों पर अयात और कलमे ना लिखे जाएं और वहीं चादरें चढ़ाई जाएं, जिनमें आयात और कलमे ना लिखे गए हों।महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने इंडिया टीवी के साथ खास बातचीत के दौरान कहा कि नागपुर हिंसा के बाद गहराई से इस विषय पर सोचा जा रहा है कि इस प्रकार की चादरों को पूरे तरीके से बैन कर दिया जाए। प्यार खान ने कहा कि जल्द ही वह अजमेर शरीफ दरगाह और दिल्ली निजामुद्दीन औलिया के दरगाह के पदाधिकारी की से भी बातचीत करेंगे। चादर पवित्र है उसे पवित्र जगह पर रखना चाहिए, कभी-कभी देखा जाता है कि वह चादर को कोई सर पर बांध लेता है, कोई हाथों में बांध लेता है, कोई कमर तक बांध लेता है, ऐसा नहीं होना चाहिए। चादरों में नहीं होगा कोई भी धार्मिक चिह्नमहाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष खान कहा कि अब जो चादरें बिकेंगी उन पर आयत नहीं लिखी रहेगी, प्लेन चादरें रहेंगी, उन पर कोई भी धार्मिक प्रतीक नहीं रहेगा। अल्पसंख्यक आयोग देश की सभी मजारों को पत्र लिखेगा और नागपुर की घटना का जिक्र करेगा। बाकी दरगाह के लोग भी समझदार हैं, उन्हें भी पता है कि जब संदल निकलता है तो ढोल वाला, कभी हाथ में बांधता है ,कभी कमर में बांधता है, कभी सर में बांधता है, उस चादर का सम्मान नहीं हो पाता। प्यारे खान ने बताया कि 1 वर्ष पहले नागपुर की ताजुद्दीन बाबा ट्रस्ट ने चादरों से कलमे हटाने का फैसला लिया था।
