जैसे-जैसे असद की सेना ने लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को कुचला,एक सशस्त्र विपक्ष का गठन शुरू हुआ,जिसमें छोटे-छोटे जैविक मिलिशिया और सीरियाई सेना से कुछ दलबदलू शामिल थे. विपक्षी ताकतें पहले काफी विकेंद्रीकृत थीं और विभिन्न विचारधाराओं से बनीं हैं. लेकिन असद को उखाड़ फेंकने के एक साझा लक्ष्य के साथ उनको पड़ोसी तुर्की,क्षेत्रीय दिग्गज सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ ही अमेरिका सहित विदेशी शक्तियों से विभिन्न तरीकों से समर्थन मिलता था. जैसे-जैसे सरकार विरोधी ताकतें बढ़ीं,सीरिया के सहयोगी ईरान और रूस ने उनका समर्थन बढ़ाया. जमीन पर,ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के साथ-साथ उसके लेबनानी प्रॉक्सी हिजबुल्लाह ने हथियारबंद विद्रोही समूहों से लड़ने में मदद की. आसमान में रूसी युद्धक विमानों द्वारा सीरियाई वायु सेना को मजबूत किया गया.

2014 तक विद्रोहियों में चरमपंथियों का वर्चस्व हो गया और ISIS ने पूरे देश में अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया. सीरिया के स्थायी आतंक का गढ़ बनने के डर से,अमेरिका के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन ने समूह को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया. कुर्द लड़ाकों से बने एक अमेरिकी साझेदार सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) ने आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई लड़ी. जिससे समूह का क्षेत्रीय अस्तित्व प्रभावी रूप से खत्म हो गया.


ISIS ने पूरे देश में अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया.
ISIS ने पूरे देश में अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया.