
माटुंगा से वडाला तक, मुंबई के स्टेशन अब इंटरनेशनल लुक में दिखाई देना शुरू हो चुके है.
इसे नई रेलवे क्रांति की शुरुआत भी माना जा रहा है.

भारत देश की पहली रेल लाइन मुंबई सीएसटी से लेकर ठाणे स्टेशन के बीच चली थी. इसी सेंट्रल रेलवे की लाइन में 4 रेलवे स्टेशनों को भी हाईटेक किया गया है. इससे मुंबई की लोकल लाइफलाइन को नया रूप मिल गया है.
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत देशभर में 103 स्टेशनों का पुनर्विकास हुआ है. इसमे महाराष्ट्र के 15 रेलवे स्टेशन शामिल है.
एसटीपी युक्त शौचालय ब्लॉक और बागवानी की गई है.
माटुंगा स्टेशन स्टेशन का पुनर्विकास 17.28 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. इसके मुख्य कार्य में प्लेटफार्म विस्तार, एलिवेटेड बुकिंग ऑफिस, दिव्यांग अनुकूल सुविधाएं, ऐतिहासिक लकड़ी की कमानियों का संरक्षण शामिल हैं.
वडाला रोड स्टेशन का पुनर्विकास सबसे ज्यादा 23.2 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है. इसमें मुख्य प्लेटफॉर्म फ्लोरिंग, कवर ओवर प्लेटफॉर्म (COP) की मरम्मत, एफओबी सौंदर्यीकरण और आधुनिक शौचालय निर्माण हुआ है.
15 महीनों में पूरा हुआ काम रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इन स्टेशनों का पुनर्विकास कार्य केवल 15 महीनों में पूरा किया गया है.
इसके लिए कुल मिलाकर 138 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है. कार्यों में न केवल यात्री सुविधाओं का अतिरिक्त ध्यान दिया गया है, बल्कि प्रत्येक स्टेशन की स्थानीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को भी सहेजने का प्रयास किया गया है.
महाराष्ट्र राज्य में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत कुल 132 स्टेशनों को शामिल किया गया है.महाराष्ट्र के 15 स्टेशन शामिल पहले चरण में 15 स्टेशनों का उद्घाटन हो रहा है.
रेल अधिकारियों का कहना है कि यह योजना न केवल रेलवे यात्रियों को बेहतर अनुभव देगी, बल्कि स्टेशनों को स्मार्ट और पर्यावरण के अनुकूल भी बनाएगी. साथ ही यह योजना रेलवे को देश की ‘जीवन रेखा’ के रूप में और मजबूत बनाएगी.
महाराष्ट्र के 15 रेलवे स्टेशन जिसमे मुंबई के वडाला रेलवे स्टेशन, माटुंगा रेलवे स्टेशन, चिंचपोकली, परेल और ठाणे के शहाड़ और जलगांव जिले का सावदा रेलवे स्टेशन शामिल हैं.2022 में हुई थी योजना की शुरुआतइसके अलावा नासिक के देवलाली, लासलगांव रेलवे स्टेशन और धुले रेलवे स्टेशन शामिल है.
वहीं सतारा जिले के लोनन्त और पुणे जिले के केडगाव, पुणे और मोरतिजापुर शामिल है. इस योजना की शुरुआत दिसंबर 2022 में की गई थी. इसका उद्देश्य देश के 1,309 स्टेशनों को चरणबद्ध रूप से विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस करना है.
यह योजना न केवल बुनियादी ढांचे के उन्नयन पर केंद्रित है, बल्कि स्टेशन को एकीकृत परिवहन केंद्र के रूप में विकसित करने पर भी बल देती है.
योजना के तहत स्थानीय कला, संस्कृति और परंपरा को भी स्टेशन के डिजाइन में शामिल किया गया है.