
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू 4 जनवरी को अजमेर आएंगे जहां वो ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के मौके पर पीएम मोदी की ओर से भेजी गई चादर पेश करेंगे. अजमेर शरीफ दरगाह के प्रमुख नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा है कि पीएम मोदी की ओर से चादर भेजना उन लोगों को क़रारा जवाब है जो पिछले पांच महीने से मंदिर-मस्जिद करके धार्मिक उन्माद पैदा करने की बात कर रहे थे. जबकि सरकार देश की सभ्यता और संस्कृति का सम्मान बनाए हुए है. नसीरुद्दीन चिश्ती के इस बयान को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दरगाह को लेकर दायर याचिका से जोड़ कर देखा जा रहा है. पिछले साल नवंबर महीने में अजमेर की एक कोर्ट ने हिंदू सेना नाम के एक संगठन की उस याचिका को सुनवाई के लिए मंज़ूर कर लिया था, जिसमें दावा किया गया था कि ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनी है.
अजमेर में मौजूद ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को मानने वाले दुनिया भर में हैं. यहां तक कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी एक बार इस दरगाह के लिए चादर भेज चुके हैं. आज पीएम मोदी के ज़रिए भेजी चादर भी दरगाह पर चढ़ाई गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब से पीएम बने हैं तब से हर साल अजमेर की दरगाह के लिए चादर भेजते आ रहे हैं. अब तक मुख्तार अब्बास नकवी हर वर्ष उनके ज़रिए भेजी जाने वाली चादर दरगाह पर चढ़ाकर आते थे लेकिन इस बार ये परंपरा टूट गई और केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने राजस्थान के अजमेर में ये चादर चढ़ाई. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि राजस्थान के अजमेर में मौजूद इस दरगाह का क्या इतिहास रहा? क्योंकि यहां पर ना सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चादर भेजते हैं बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अमेरिका फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों के सिसायतदान भी चादर चढ़ाने के लिए अलग-अलग समय पर पहुंचते रहे हैं.
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू 4 जनवरी को अजमेर आएंगे जहां वो ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के मौके पर पीएम मोदी की ओर से भेजी गई चादर पेश करेंगे.
अजमेर शरीफ दरगाह के प्रमुख नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा है कि पीएम मोदी की ओर से चादर भेजना उन लोगों को क़रारा जवाब है जो पिछले पांच महीने से मंदिर-मस्जिद करके धार्मिक उन्माद पैदा करने की बात कर रहे थे. जबकि सरकार देश की सभ्यता और संस्कृति का सम्मान बनाए हुए है.
नसीरुद्दीन चिश्ती के इस बयान को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दरगाह को लेकर दायर याचिका से जोड़ कर देखा जा रहा है. पिछले साल नवंबर महीने में अजमेर की एक कोर्ट ने हिंदू सेना नाम के एक संगठन की उस याचिका को सुनवाई के लिए मंज़ूर कर लिया था, जिसमें दावा किया गया था कि ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनी है.
मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म ईरान के संजर (सिस्तान) में हुआ था. ख्वाजा अपने समय के मशहूर सूफी संत ख्वाजा उस्मान हारूनी के शिष्य थे और 1192 में वह पहले लाहौर, फिर दिल्ली और फिर अजमेर पहुंचे. इससे पहले उन्हें बगदाद और हेरात होते हुए कई बड़े शहरों में सूफियों से आशीर्वाद मिल चुका था. ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती ऐसे समय में हिंदुस्तान पहुंचे थे जब शहाबुद्दीन गोरी और पृथ्वीराज के बीच तारायण की जंग के बाद मुस्लिम शासन की शुरुआत हो रही थी. यह कुतुबुद्दीन ऐबक, अल-तमीश, आराम शाह, रुकनुद्दीन फिरोज और रजिया सुल्तान का दौर था.
एक रोटी कई दिन तक खाते थे ख्वाजा मुइनुद्दीन
कहा जाता है कि उनकी शोहरत के बारे में सुनने के बाद अल-तमीश खुद उनसे मिलने पहुंचे थे. इसके अलावा रजिया सुल्तान ने भी कई बार उनके दरबार में हाजिरी दी थी. ख्वाजा मुइनुद्दीन के अनगिनत हैरान कर देने वाले किस्से हैं. एक जगह दावा किया गया है कि ख्वाजा बहुत भूखे रहा करते थे. एक रोटी कई-कई दिन चलाते थे. जबकि उनके यहां जरूरतमंद और भूखों के लिए हर वक्त लंगर तैयार रहता था लेकिन वो खुद बहुत कम खाना खाया करते थे. रूहानियत के आखिरी हदों तक पहंचने की वजह से ही उन्हें इतनी शोहरत हासिल हुई. 1236 में ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती ने इस दुनिया को अलविदा कहा.
दरगाह पर जाने वाला पहला सुलतान
ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती के देहांत के तुरंत बाद से लोग उनकी जियारत के लिए नहीं जाते थे, बल्कि ये सिलसिला तो बहुत बाद में शुरू हुआ. उनके देहांत के बाद एक छोटी सी दरगाह जरूर बनवाई गई थी लेकिन उसके बाद लगभग 200 वर्षों तक इसकी तरफ किसा का ध्यान ही नहीं गया. मांडू के सुल्तान महमूद खिलजी और उनके बाद गयासुद्दीन ने पहली बार यहां स्थायी मकबरा बनवाया और एक सुंदर गुंबद बनवाया. कहा जाता है कि 1325 में पहली बार मुहम्मद बिल तुगलक इस दरगाह पर जाने वाला पहला सुलतान था. इसके बाद जब खिलजी ने 1455 में अजमेर पर कब्जा कर लिया था तो उसने इस दरगाह पर एक ऊंचा दरवाजे के अलावा शानदार मस्जिद भी बनवाई.
