बाले शाह पीर दरगाह पर फिलहाल तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं होगी.क्या है मामला…………?
मुंबई से सटे मीरा-भायंदर के उत्तन गांव में स्थित बाले शाह पीर दरगाह पर फिलहाल तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं होगी.
मीरा-भायंदर महानगर पालिका और जिला प्रशासन ने पहले भी कई बार नोटिस जारी किए थे, लेकिन आरोप है कि अवैध निर्माण लगातार बढ़ता गया.अब प्रशासन इसे साफ करने पर अड़ा हुआ है.
उनका कहना है कि यह पूरी ज़मीन रेवेन्यू लैंड है, जिस पर धार्मिक आड़ में अतिक्रमण किया गया है.
इस दरगाह पर महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है और साल में एक बार मेला भी लगता है.
सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा स्थिति को यथावत बनाए रखने का आदेश देते हुए चार हफ्तों तक कोई कार्रवाई न करने को कहा है.
अब इस मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने विधानसभा में इस दरगाह को गिराने की बात कही थी, जिसके बाद इसे गिराने की योजना बनाई गई.
इसके विरोध में कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई कर रहे सीजेआई बी.आर. गवई ने याचिका की कॉपी महाराष्ट्र सरकार के वकील को देने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने को कहा.
यह दरगाह मुंबई से सटे मीरा-भायंदर के उत्तन गांव में चौक एरिया में लगभग 1,290 वर्ग मीटर यानी करीब दस हजार वर्गफुट जमीन पर बनी हुई है.
महाराष्ट्र सरकार का दावा है कि यह ज़मीन राजस्व विभाग की है और इस पर दरगाह के नाम पर अवैध कब्जा किया गया है. सरकार ने 20 मई तक इस अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था.
याचिका कर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने विधानसभा में इस दरगाह को गिराने की बात कही थी,
जिसके बाद इसे गिराने की योजना बनाई गई. इसके विरोध में कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई कर रहे सीजेआई बी.आर. गवई ने याचिका की कॉपी महाराष्ट्र सरकार के वकील को देने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने को कहा.
1. भयंदर (पश्चिम) में सरकारी स्वामित्व वाली पहाड़ी मैंग्रोव भूमि पर 70,000 फीट की ऊंचाई पर हजरत सैय्यद बलेशाह पीर दरगाह ट्रस्ट के ट्रस्टियों द्वारा अवैध रूप से 100 फीट की दरगाह (एक मुस्लिम मकबरा) का निर्माण किया गया था। यह पता चलने पर कि दरगाह का अवैध निर्माण 3 साल पहले अतिक्रमण करके किया गया था, अधिवक्ता खुश खंडेलवाल ने 18 अप्रैल 2023 को अपर तहसीलदार कार्यालय में लिखित आपत्ति दर्ज कराई ।
2. मीरा-भायंदर महानगरपालिका को इस मामले में लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इसलिए अपर मीरा-भायंदर तहसीलदार कार्यालय जागा, लेकिन उसने कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। इसके बाद अधिवक्ता खुश खंडेलवाल ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया कि इस दरगाह के प्रशासक ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध रूप से दरगाह का निर्माण किया है।
3. 27 मार्च 2024 के न्यायालय के आदेश के जवाब में ठाणे के जिला कलेक्टर, मीरा-भायंदर के अतिरिक्त तहसीलदार और मीरा-भायंदर निगम के आयुक्त ने हलफनामा दायर किया कि ‘हजरत सैय्यद बलेशाह पीर दरगाह’ ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर अवैध रूप से दरगाह का निर्माण किया है। न्यायालय द्वारा पिछली सुनवाई में दरगाह ट्रस्ट को 24 जुलाई 2024 की सुनवाई के लिए उपस्थित होने का नोटिस दिया गया था । लेकिन दरगाह ट्रस्ट के प्रतिनिधि उस तिथि पर अनुपस्थित थे।
4. मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने ट्रस्टियों की अनुपस्थिति को संज्ञान में लेते हुए उन्हें अंतिम अवसर देते हुए अगली सुनवाई में उपस्थित होने का नोटिस दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि अगली सुनवाई में ट्रस्ट की ओर से कोई उपस्थित नहीं होता है तो मामले की एकपक्षीय सुनवाई की जाएगी।
बालेशाह पीर दरगाह पर बुलडोजर चल सकता है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार ने 10 मई तक इस दरगाह को गिराने का आदेश दिया है।
इसके बाद यह दरगाह चर्चा में आ गई है।
राज्य के राजस्व मंत्री और महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के अनुसार यह दरगाह मीरा भायंदर के चौक एरिया में स्थित है। बावनकुले का कहना है कि उस एरिया में 10 हजार स्क्वायर फीट में एक दरगाह बनाई गई है।
बावनकुले बोले-सरकारी है जमीन बावनकुले का कहना है कि बार-बार नोटिस देने के बाद भी कब्जा बढ़ता जा रहा है। उसका आकार कम नहीं हो रहा है। राजस्व मंत्री ने कहा कि यह विषय सदन में उठा था। अब इस मामले के तूल पकड़ने के बाद महानगर पालिका और कलेक्टर ने दरगाह को नोटिस दी है।
बावनकुले ने कहा कि यह सामने आया है कि यह दरगाह सरकारी जगह पर है। यह एक रेवेन्यू लैंड ऐसे में फैसला किया गया है।
इस अतिक्रमण को हटाना चाहिए। ऐसे में हटाया जाएगा। इस दरगाह पर साल में एक बार मेला भी लगता है। दरगाह पर औरतों का जाना प्रतिबंधित है।
आरोप है कि मीरा भायंदर में स्थित इस दरगाह के पास में एक मस्जिद है।
यहां पर नमाज पढ़ी जाती है। एक पहाड़ी के पास उतन गांव में स्थित यह परगाह अब विवाद की वजह बन गई है।
दरगाह कमेटी का कहना है कि मामले हाईकोर्ट में पेंडिंग है।
ऐसे में सरकारी जमीन और मैंग्रोव का नुकसान पहुंचाकर दरगाह बनाने के जो आरोप हैं उन पर कोर्ट फैसला करेगा। सरकार की तरफ से दरगाह को गिराने कहा आदेश जारी होने के बाद मीरा भायंदर की पॉलिटिक्स गरमा गई है।
कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद? 2011 में पुलिस ने मीरा भयंदर के कलेक्टर को एक गुप्त पत्र लिखा था, जिसमें दरगाह को सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया था। पुलिस ने आशंका जताई थी कि आतंकवादी समुद्र के रास्ते इस इलाके में घुस सकते हैं और दरगाह में छुप सकते हैं।
इसलिए दरगाह को तुरंत हटाने की सिफारिश की गई थी।हाल ही में खत्म में महाराष्ट्र विधानसभा बजट सत्र में भाजपा नेता निरंजन डावखरे ने इस मुद्दे को उठाया था और कहा कि दरगाह सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है और इसे जल्द से जल्द हटाया जाना चाहिए।