
आज दुनिया में तकनीक के क्षेत्र में कई देशों ने अपनी पहचान बनाई है। एक समय था जब तकनीक की बात आती थी तो जापान का नाम सबसे पहले लिया जाता था। रेडियो हो या फिर सड़क और पुलों का निर्माण, जापानी तकनीक का मतलब था कि प्रोजेक्ट सफल हो। बाद में भारत, चीन और ब्रिटेन जैसे देशों ने भी अपने हुनर से असाधारण चीजें बनाईं। किसी ने दुनिया का सबसे ऊंचा पुल बनाया तो किसी ने सबसे ऊंची इमारत। अगर दुनिया के कुछ सबसे अनोखे पुलों पर नजर डालें तो भारत भी उनमें से एक है।
पुल हमारी यात्रा को आसान बनाते हैं, क्योंकि उन जगहों तक पहुंचना आसान हो गया है जहां सड़क नहीं है। लेकिन यह तो मानना ही पड़ेगा कि कुछ पुल ऐसे भी हैं जो एक पल के लिए ड्राइवरों की सांसें भी रोक देते हैं। क्योंकि सड़क भले ही दिखाई दे रही हो, लेकिन उसे पार करना आसान नहीं है। आइए जानें ऐसे ही कुछ पुलों के बारे में।

एशिमा ओहाशी ब्रिज – जापान जब आप इस पुल को देखते हैं तो आपको ऐसा लगता है कि आप फ्लाईओवर पर नहीं बल्कि रोलर कोस्टर पर हैं। यह पुल जापान में स्थित है और इसकी संरचना इतनी खड़ी है कि वाहन चालकों को भी इसे पार करने से पहले दो बार सोचना पड़ता है। इसका कारण यह है कि इसे इतना ऊंचा बनाया गया है कि जहाज आसानी से पुल के नीचे से गुजर सकते हैं। केवल 1.7 किलोमीटर लंबे और 11.4 मीटर चौड़े इस पुल को पार करना एक बहुत ही मुश्किल काम है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 6 जून को इंजीनियरिंग के चमत्कार, चेनाब रेल पुल का उद्घाटन किया. यह पुल भारत का गौरव है और जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाला दुनिया का सबसे ऊंचा सिंगल-आर्क रेलवे पुल है. नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर बना 1,315 मीटर लंबा यह पुल एफिल टॉवर से 35 मीटर छोटा है और इसकी आयु 120 वर्ष बताई गई है. 260 किमी प्रति घंटे की हवा की गति और भूकंपीय गतिविधि को झेलने के लिए बनाया गया यह पुल 1,486 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है.

आपको बता दें कि इस पुल के निर्माण में बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में प्रोफेसर माधवी लता का बहुत बड़ा योगदान है. माधवी ने पुल के डिजाइन से लेकर निर्माण तक में बड़ा रोल निभाया है. उन्होंने 1992 में जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया. इसके बाद NIT वारंगल से एमटेक में गोल्ड मेडल हासिल किया और IIT मद्रास से 2000 में PhD पूरी की. आज वे IISc में वरिष्ठ प्रोफेसर हैं.उन्हें 2021 में बेस्ट वुमन जियोटेक्निकल रिसर्चर और 2022 में टॉप 75 वीमेन in STEAM का खिताब भी मिला.मिला महिला अचीवर्स पुरस्कार28 मई 2025 को इंडियन जियोटेक्निकल जर्नल के महिला विशेषांक में एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसका नाम था “डिजाइन ऐज यू गो: द केस स्टडी ऑफ चिनाब रेलवे ब्रिज.” डॉ. लता द्वारा लिखे गए इस लेख में पिछले 17 वर्षों में पुल के निर्माण में आई चुनौतियों और मुख्य सीखों का विस्तार से वर्णन किया गया है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास की पूर्व छात्रा डॉ. लता ने 2004 में आईआईएससी में शामिल होने से पहले आईआईटी-गुवाहाटी में पढ़ाया था. उनकी शोध रुचियों में भू-यांत्रिकी के सूक्ष्म से स्थूल तक, टिकाऊ मृदा सुदृढ़ीकरण, भूकंप भू-तकनीकी इंजीनियरिंग और चट्टान इंजीनियरिंग शामिल हैं. वह भारतीय भू-तकनीकी सोसायटी से भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में सर्वश्रेष्ठ महिला शोधकर्ता पुरस्कार पाने वाली पहली प्राप्तकर्ता हैं. उन्हें IISc का प्रोफ़ेसर एसके चटर्जी उत्कृष्ट शोधकर्ता पुरस्कार, कर्नाटक बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा महिला अचीवर्स पुरस्कार और SERB POWER फेलोशिप भी मिल चुकी है. वह STEAM ऑफ़ इंडिया की शीर्ष 75 महिलाओं में शामिल हैं.