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हाजी इस्माइल हाजी हबीब मुसाफिरखाना ट्रस्ट (बोहरी मुहल्ला)
आप सबको मुबारक पहला आदेश आया महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड का का ये गैर वक्फ है ये वही ट्रस्ट है जहां एक मस्जिद बनी होई है बोरी मोहल्ला माई जिसे लेकर एक
लम्बी लड़ै कोर्ट माई या वक्फ बोर्ड माई लाडी गाई सबुत का लेये ये एक
प्रार्थना कक्ष है विधायक अमीन पटेल साहब का बयान था इस मस्जिद को लेकर का कयामत तक मस्जिद रहेगी
लेकिन अफसोस ये सिर्फ बयान ही था 8/4/2025 को महाराष्ट्र वकाफ बोर्ड ने इस को गैर वकाफ घोषित किया किया
लेकिन अल्लाह का फ़ज़ल से 9/4/2025 को कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी।
अब सवाल अमीन पटेल साहब या कौम का ठेकेदारो से का गैर वकाफ होने का बाद क्या इस मस्जिद को शहीद किया जाएगा क्या ये वकाफ संशोधन बिल का फेली स्वागत है क्या बिल पास हुआ था?
इन लोगो पूछो क्या अब हमारी मस्जिद को भी गैर वकाफ का नाम पीआर शहीद कर दिया गया?
बुज़दिल मत बनाओ?
2% वालो से सवाल करो.
नए वक्फ कानून में क्या-क्या……?
1. हर कोई अपनी संपत्ति ‘वक्फ’ नहीं कर सकेगा
कानून में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि वक्फ द्वारा उपयोगकर्ता का खंड हटाया गया है, और यह साफ किया गया है कि वक्फ संपत्ति से संबंधित मामले अब पूर्वव्यापी तरीके से नहीं खोले जाएंगे, जब तक कि वे विवादित न हों या सरकारी संपत्ति न हों। इसके अलावा वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का समर्थन किया गया है, ताकि वे वक्फ मामलों में रुचि रखने वाले या विवादों में पक्षकार बन सकें।
2.वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम, महिला सदस्यों का नामांकन
नए कानून में वक्फ बोर्डों के संचालन में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जैसे कि अब बोर्ड में गैर-मुस्लिम और कम से कम दो महिला सदस्यों को नामित किया जाना प्रस्तावित है। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, दो पूर्व न्यायाधीश, चार ‘राष्ट्रीय ख्याति’ के व्यक्ति और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी होंगे, जिनमें से कोई भी इस्लामी धर्म से संबंधित नहीं होगा।
3. सरकारी अधिकारी को जांच की शक्ति
बता दें कि अगस्त 2024 में संसद में जो विधेयक पेश किया गया था, उसमें वक्फ से जुड़े विवादों के मामलों में जिला कलेक्टर को जांच की शक्ति दी गई थी। हालांकि, जेपीसी ने जिला कलेक्टर वाली शक्ति को खत्म करने पर सहमति जता दी और राज्य सरकार को अब इन मामलों की जांच करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी नामित करने का अधिकार देना प्रस्तावित कर दिया।
4.वक्फ संपत्ति का केंद्रीय डाटाबेस में पंजीकरण
मौजूदा कानून के तहत पंजीकृत हर वक्फ संपत्ति की जानकारी अधिनियम लागू होने के बाद छह महीने के अंदर सेंट्रल डाटाबेस में देना जरूरी है। इतना ही नहीं डाटाबेस में किसी भी सरकारी संपत्ति को जिलाधिकारी के पास चिह्नित किया जाएगा, जो कि बाद में इस मुद्दे पर जांच कर सकेंगे। कानून में शामिल इस संशोधन में कहा गया है कि अगर वक्फ संपत्ति को केंद्रीय पोर्टल में नहीं डाला जाता तो इससे वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण होने या विवाद पैदा होने पर अदालत जाने का अधिकार खत्म हो जाएगा। हालांकि, एक अन्य स्वीकृत संशोधन अब मुतवल्ली (कार्यवाहक) को राज्य में वक्फ न्यायाधिकरण की संतुष्टि बाद कुछ स्थितियों में पंजीकरण के लिए अवधि बढ़ाने का अधिकार देगा।
5. अंतिम नहीं होगा न्यायाधिकरण का फैसला
वक्फ कानून, 1995 के तहत वक्फ न्यायाधिकरण को सिविल कोर्ट की तरह काम करने की स्वतंत्रता दी गई थी। इसका फैसला अंतिम और सर्वमान्य माना जाता था। इन्हें किसी भी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी सकती थी। ऐसे में वक्फ न्यायाधिकरण की ताकत को सिविल अदालत से ऊपर माना जाता था। हालांकि, कानून में अब वक्फ न्यायाधिकरण के गठन के तरीके को भी बदला जा रहा है। इसमें कहा गया है कि वक्फ न्यायाधिकरण में एक जिला जज होगा और एक संयुक्त सचिव रैंक का राज्य सरकार का अधिकारी सदस्य के तौर पर जुड़ा होगा। वक्फ संशोधन विधेयक में कहा गया कि न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम नहीं होगा और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी