
लोकसभा में नए वक्फ कानून बनाने वाले
लगभग सांसद हिन्दू…
राज्य सभा से भी नए कानून को पास करने वाले
लगभग सभी सांसद हिन्दू…
नए संवैधानिक वक्फ़ एक्ट के विरुद्ध
न्यायपालिका में मुकदमा लड़ने वाले सारे बड़े वकील हिन्दू…
नए संवैधानिक एक्ट के समर्थन में
विधायिका की तरफ से
मुकदमा लड़ने वाले हिन्दू…
CJI भी हिन्दू…
नए वक्फ कानून पर
टीवी चैनलों पर डिबेट करने वाले
सारे राजीतिक पार्टियों के लगभग सभी प्रवक्ता हिन्दू…
कुछ लोग इसे गंगा-जुम्मनी तहज़ीब बताकर
तालियाँ बजा रहे हैं,
लेकिन हक़ीक़त ये तस्वीर
भारत में मुसलमानों की हालात
दयनीय स्थिति को बयान कर रही है…
सोचिए,
मुसलमानों की ज़मीनें,
मुसलमानों की मस्जिदें,
मुसलमानों की दरगाहें,
मुसलमानों के मदरसे,
मुसलमानों के ईदगाह,
मुसलमानों के कब्रिस्तान,
मुसलमानों के इमामबाड़े,
मुसलमानों की सबकुछ निशाने पर है.
और मुसलमान ख़ुद अपनी ही पैरवी के लिए
कोर्ट में खड़ा होने लायक भी नहीं बचा है,
ये सिर्फ़ आर्थिक या राजनीतिक कमज़ोरी नहीं है,
ये मनोवैज्ञानिक गिरावट है.
पिछले सत्तर साल में संवैधानिक सिस्टम द्वारा,
मुसलमानों का सामूहिक मानसिक उत्पीड़न
इतने सिस्टेमेटिक और बड़े पैमाने पर किया गया है कि
मुसलमानों को अपने दुख को बयान करने लायक भी नहीं छोड़ा गया.
आज मुसलमान
अगर अपने हक़ की बात करता है,
तो उस पर संवैधानिक सिस्टम द्वारा
मुकदमा कर दिया जाता है,
संवैधानिक न्यायपालिका द्वारा
न्यायिक हिरासत के नामपर
जेल में डाल दिया जाता है,
सालों तक बेल नहीं मिलती,
सुनवाई नहीं होती,
और उसका परिवार अदालत की दहलीज़ पर
न्याय के इंतजार में बैठा बूढ़ा हो जाता है…
एक बार फिर सोचिए
देश की सबसे बड़ी अदालत में
एक पूरी क़ौम अपनी ही बात कहने के लिए
दूसरों की तरफ़ देखे,
मुसलमानों को इतना उत्पीड़न हुआ है
कि हमारी तकलीफ़ों की ज़ुबान भी गूंगी हो गई है?
मुसलमानों को सत्तर साल के संवैधानिक तरीके से
उत्पीड़न कर करके गूंगा बना दिया गया है,
ये शर्मिंदगी की बात है,
लेकिन कुछ लोग मुसलमानों के उत्पीड़न को भी
सेलिब्रेट कर मक्कारी का सबूत दे रहे हैं.